बिन मांगे सब कुछ मिला( दोहे )
बिन मांगे सब कुछ मिला( दोहे )
दो अक्षर के मेल से, बनता है सहयोग
इक दूजे का साथ दें, जग के सारे लोग
मैं मेरी में क्या धरा, तू-तू मैं-मैं छोड़
अहंकार को छोड़कर, मन से रिश्ते जोड़
मिलकर पक्षी उड़ चले, लेकर नभ में जाल
मुंह शिकारी ताकता, हुआ हाल-बेहाल
घर-आंगन संवार लें, भूलें सारा बैर
शिक्षा से झोली भरें, करें विश्व की सैर
अनुशासन की नींव पर, सरपट दौड़े रेल
खेल दिवस में भाग लें, मिलकर खेलें खेल
सुन लो बच्चों ध्यान से, मिले तभी सम्मान
समय करें न नष्ट कभी, पढ़ने पर दें ध्यान
मात-पिता की बात का, रखे 'पूर्णिमा' 'मान
बिन मांगे सब कुछ मिला, सफल हुआ संज्ञान
