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Abhilasha Chauhan

Abstract

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Abhilasha Chauhan

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बीती ताहि बिसार दे.

बीती ताहि बिसार दे.

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बीती रात कमल दल फूले,

नव किसलय द्रुम दल पे झूले।

भ्रमर दल करता है गुंजन,

नयन नीड़ में पंछियों ने खोले।


प्राची में अरुणिमा अब छाई,

संदेशा खुशहाली का लाई।

बीती रात आया नया सवेरा,

पवन क्रांति का पैगाम लाई।


उठो,जागो अब बदलो खुद को,

साहस से अब छू लो नभ को।

मिटा दो अब दुख का अंधियारा,

क्षमता दिखा दो अपनी जग को।


समय उसी का साथ चले जो,

अपनी धुन में रमा रहे जो।

तोड़ दे जो निराशा की बेड़ी,

परिवर्तन का आगाज करें जो।


कुछ भी शाश्वत नहीं यहां पे,

जीवन पथिक सनातन यहां पे।

पल-पल का आनंद उठा लो,

न व्यर्थ गंवाओ इसे यहां पे।


सब कुछ है बस हाथ तुम्हारे,

मनुज वही जो धैर्य न हारे।

जीवन-मृत्यु पे किसका वश है,

उठकर अपना भविष्य संवारे।


अभिलाषा चौहान



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