STORYMIRROR

सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

4  

सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

भूल जाते है माँ बाप को

भूल जाते है माँ बाप को

2 mins
230

क्यों बुढ़ापे में हम मां-बाप को छोड़ आते हैं

भूल जाते हैं उनके फर्ज को 

अपना कौन सा फर्ज निभाते हैं। 


एक पिता कर्ज उठाकर 

माता कंगन मंगलसूत्र बेचकर हमें पढ़ाती है

हमने कोई घर नहीं बनाया 

हम उसको ही अपना बताते हैं।


आज हम उन्हें पानी तक नहीं देते

वे जरा सी खांसी पर डॉक्टर बुलाते हैं

बचपन में जिस के साथ रहते हैं 

हम क्यों बड़े हो जाते हैं

मां-बाप को बुढापा में छोड़ आते हैं।


मेरी मां जब नानी के घर जाती थी

नानी, मां से एक सवाल करती थी ।


बेटी तेरे कंगन झुमके मंगलसूत्र कहा गए

मां हंस कर कहती मेरे कंगन मंगलसूत्र झुमके खो गए।


फिर बंद कमरे में जाकर रोती है 

कंगन मंगलसूत्र झुमके से मां की शोभा होती है।


बोझा उठा उठा कर पिता के कांधे टूट जाते हैं

हमारे लिए क्या नहीं किया 

हम ही उनसे रूठ जाते हैं। 


बचपन में जो साथ रहते हैं

वो क्यों बड़े हो जाते हैं

बुढ़ापे में हम मां-बाप को

जाने क्यों छोड़ आते है। 


कभी तो घर ने पुकारा होगा मां को

कभी तो रोया होगा याद कर पिता को।


जिसकी पाई पाई ने छत बनाई थी

जिसके कंगन झुमके से ईट आई थी

कैसे घर से निकाल दिया 

वो मां बाप की कमाई थी।


डूब मरते घर से निकालने से पहले मात पिता को

इनके मरने के बाद कौन लगाएगा अग्नि चिता को।


पिता पर्वत है मां धरातल से भारी

अपनी संतानों की हर लेती मुसीबत सारी।


कभी तो मां के नाम का दीप जला होता

कभी तो पिता का फटा कुर्ता दिखा होता।


दिखा होता अपना बचपन पिता में

मां की राख हो गई जलकर चिता में।


ना जाने क्यों हम बड़े जो जाते हैं

माँ बाप से अलग खड़े हो जाते है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational