Pooja Kalsariya

Abstract

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Pooja Kalsariya

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भूल गई हूँ

भूल गई हूँ

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रोती तो नहीं हूँ बस

मुस्कुराना भूल गई हूँ !

पहले की तरह अब मैं

जीना भूल गाई हूँ !


जाने किस बात कीं सोच में

खोई सी रहती हूँ

खामोश रहने लगी हूँ

बक-बक भूल गई हूँ !


लोगों से अब दिल मेरा शिकायत

तक नहीं करता !

कोई है भी क्यां अपना ?

मैं ये भी भूल गई हूँ !


सहम सी गई हूँ मैं अंदर से !

ना जाने क्यों एक अरसे से

खुल के हँसना भूल गई हूँ !

दिल मेरा भी करता है ख्वाब

हकीकत हो मेरा !

जब से टूटी हूँ

ख्वाब सजा़ना भूल गई हूँ !


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