भूल गई हूँ
भूल गई हूँ
रोती तो नहीं हूँ बस
मुस्कुराना भूल गई हूँ !
पहले की तरह अब मैं
जीना भूल गाई हूँ !
जाने किस बात कीं सोच में
खोई सी रहती हूँ
खामोश रहने लगी हूँ
बक-बक भूल गई हूँ !
लोगों से अब दिल मेरा शिकायत
तक नहीं करता !
कोई है भी क्यां अपना ?
मैं ये भी भूल गई हूँ !
सहम सी गई हूँ मैं अंदर से !
ना जाने क्यों एक अरसे से
खुल के हँसना भूल गई हूँ !
दिल मेरा भी करता है ख्वाब
हकीकत हो मेरा !
जब से टूटी हूँ
ख्वाब सजा़ना भूल गई हूँ !