भोर
भोर
निकल पर्वतों के झुरमुट से
सूरज ने ले ली अंगड़ाई
आसमान भी शरमाया सा
गालों पर फैली अरुणाई।
गूंज उठा पंछी का कलरव
पेड़ों ने भी आंखें खोलीं
बीती रात कमल दल फूले
फूल भरी वसुधा की झोली।
दूर कहीं इक माँ बेटे से
बोली मीठी- मीठी बोली
आंखे खोलो मुन्ना राजा
भोर होली ! भोर होली !
