भोजपुरी पर्यावरण लोक गीत 1- जू
भोजपुरी पर्यावरण लोक गीत 1- जू
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जून दुपहरिया मे देहिया जरेला,
सूखल होठवा पियासिया लगेला।
सुना मोरे सइया,
कईसे बीतिहे गरमिया के दिनवा हमार।
सुना मोरे सइया,
पेड़वा का छांव नाही,
चले केवनों उपाय नाही,
टप-टप चुवेला पसीनवा
चैन कही आय नाही।
सुना मोरे सइया,
ले आई देता एसी कूलर घरवा हमार।
सुना मोरे सइया।
गउआ एको नाही पेड़वा,
सूखी गईले कुआ तलवा,
सुना भईले बृंदाबनवा
पानी बिना चली कइसे हरवा।
सुना मोरे सइया,
धु धु जरे बनवा सगरो जग संसार।
सुना मोरे सइया,
सुरूज़ के घाम,
जइसे अगिया बरसावेला,
पछुया बयार बहे,
जईसे देहिया दहकावेला।
सुना मोरे सइया,
बरसीहे कहिया झम झम दइबा हमार।
सुना मोरे सइया,
अबही से चेता सइया,
खूब पेड़वा लगावा,
जंगल ताल बचाई कुआ
आपन देशवा बचावा।
सुना मोरे सइया,
अईहे तहिया जीनिगिया मे बहार।
सुना मोरे सइया,
घूमे खातिर मन हमरो
शिमला नैनीताल मंसूरी,
ठंडा ठंडा हवा बहे
खाइब क्रीम बरफ जाइब जरूरी।
सुना मोरे सइया,
चला बनवाल जाई ओहिजे आपन घर बार।
सुना मोरे सइया।