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Soutrik Ghoshal

Inspirational

4.5  

Soutrik Ghoshal

Inspirational

भारत : आजादी से अमृत्व तक

भारत : आजादी से अमृत्व तक

1 min
334


भारत वर्षों तक परतंत्रता को सहे,

बाधा विपत्ति में हम रहे।

सहे कई किस्म के अत्याचार,

अंग्रेजों ने किए बड़े वार।

सौभाग्य न सब दिन सोता है

देखें आगे क्या होता है।


कारोबार करने आए थे

धरोहर हमारी चुरा ले गए।

मैत्री का हाथ बढ़ाया हमने

अन्याय है यह, समझाया हमने;

हृदय जब धड़ छोड़ता है

कभी वापस ना आता है।


उन्होंने बड़ा खिलवाड़ किया,

अपना साम्राज्य विस्तार किया।

राजा महाराजाओं को पछाड़ कर

कूटनीति का शस्त्र इस्तेमाल कर

हड़प ली जमीन और आसमान।

देखता ही रह गया ये जहान।


अत्याचार इतना बढ़ गया

मां भारती के पुत्रों से सहा न गया।

निकल गए विद्रोह करने,

अपने देश को आजाद करने

तभी, चमक उठी सन सत्तावन में

वह तलवार पुरानी थी।

खूब लड़ी मर्दानी,

वह तो झांसी वाली रानी थी।


मातृभूमि का कर्ज चुकाने को,

आजाद हिंद बनाने को,

उठ खड़ा हुआ सुभाष।

क्या उसने अंग्रेजों का नाश।

वीरगति प्राप्त की; वह आकाश में समा गया

मां देखती रही पुत्र इतिहास बन गया।


वापस अफ्रीका से मोहन आया 

साथ क्रांति का उपदेश लाया।

सत्याग्रह का सारथी बना

आजादी के बाद वह महात्मा गांधी बना।

मां भारती पर मर मिट गया।

बेटा मोहन जनहित के कम कर गया।


मिली आजादी, हुआ स्वतंत्र देश।

वह अंधकार का युग शेष।

टूटे हुए देश से फूटे बसंती स्वर,

उसर जमीन पर उगाया नव अंकुर।

दिल्ली के लाल किले पर 

तिरंगा फहराते हैं।

साथ ही, हम जन-गण-मन गाते हैं।


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