बहारें फिर आएंगी
बहारें फिर आएंगी
बहारें फिर लौट आएंगी फिजाएं मुस्कुराएंगी
गमों की काली रात लम्हा-लम्हा बीत जाएगी
इक नई सुबह फिरआएगी फिजाएं मुस्कराएंगी।
आज रूठी हैं जो खुशियां हमसे कल मान जाएंगी
फिजाएं मुस्कुराएंगी बहारें फिर लौट आएंगी।
ये मुश्किलें मेरी साथ मेरा निभा न पाएंगी
आज नहीं तो कल ये खुद ही भाग जाएंगी
बहारें फिर लौट आएंगी फिजाएं मुस्कुराएंगी।
माटी की काया इक दिन माटी में मिल जाएगी
बस नेकियां ही हमारी इस जहां में रह जाएंगी
बहारें फिर लौट आएंगी फिजाएं मुस्कुराएगी।
