भाई-दूज
भाई-दूज
भाई-दूज का त्योहार
भाई-बहन का प्यार
आज स्नेह-नदिया बहती,
प्रकृति भी खिली रहती
भातृ स्नेह में वो,
वो भूखी-प्यासी रहती
भाई की बढ़े आयु
बहिनें खाती व्रत-वायु
बहनों की खुशी का,
आज न होता कोई पार
भाई-दूज का त्योहार
पतझड़ में लाता बहार
खुशियों का दीप जलता
घर में हर चेहरा खिलता
पत्थर बनी चीजों को देता,
ये कोमलता का उपहार
भाई-दूज का त्योहार
अप्रसन्नता से करता रार
सुख का बढ़ाता संसार
रोये चेहरे हँस उठते है,
अपने, अपनों से मिलते है,
हँसी -ठिठोली होती फुहार
दीयों की जगमग के साथ,
घर में होती खुशियां अपार
भाई-दूज का त्योहार,
देता सबको समृद्धि-हार