STORYMIRROR

Ruchika Rai

Abstract

4  

Ruchika Rai

Abstract

बेवफाई

बेवफाई

1 min
219

जिंदगी ने न जाने क्योंकर दिखाई बेवफ़ाई,

हर बार टूटने की वजह भी उसने दिलाई।


जब भी थोड़ा सम्भलकर चलना सीखा हमने,

रोने की एक और वजह मुझे नजर आई।


काँटों भरे जीवन में फूल की तलाश थी,

पर जिंदगी में काँटे की चुभन हिस्से आई।


जिंदगी ने न जाने क्योंकर दिखाई बेवफाई।

मेरी जिंदगी को इतना कमजोर बना दिया,


खुद से खड़ा न हो पाउँ ऐसी सजा दिया।

आज जब खुद को खड़ा करने की कोशिश की,


फिर क्यों नही तुमने मेरा साथ है निभाई।

हर बार तुमने मेरी कमजोरी क्यों याद दिलाई,


जिंदगी ने न जाने क्योंकर दिखाई बेवफाई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract