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Ritesh Kumar

Tragedy

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Ritesh Kumar

Tragedy

बेवफा

बेवफा

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अब तो मयखाने की तलब

दिन रात रहती है,


दिल में तस्वीर तेरी

और तुम्हेेंं भूलने की आस रहती है।


ना तुम बेवफा हो

ना हम बेवफा हैैं, 


तो क्यूं दिलों के फासले 

हम दोनों के दर्मियां हैैं।


बेवफा तुम हो या मैं

फैसला तुम पे छोड़ा हैैं,


पर ये भी तो सच है

चंद पैसों के लिए तुमने येे रिश्ता तोड़ा है।


सिकवा तुमसे करूं

जिसने मूझको भूला दिया,


या इस जिंदगी से

जिसने तुमसेे मिला दिया।  


कल तक जिस रास्ते 

अपनी हर ख़ुशी को था मैंने पाया,


लड़खड़ाते  कदमों ने

आज फिर उसी मोड़ पर है लाया।


सच्चा प्यार पा लेना 

खुदा की सच्ची इबादत का फलशफा होता है,


पर हर एक के मुकद्दर में

मिलना कहां लिखा होता है।


कभी साथ जीने मरने की कसमें

खाई थी जिसने,


मौत के करीब भेेज दिया

क्यूं आज खुद उसने।


अब तो सच्ची मोहब्बत

महबूबा मौत निभायेगी,


मेरी जिंदगी तुम बेवफा निकली

साथ तो अब मौत लेकर जायेगी।


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