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Ritesh Kumar

Abstract

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Ritesh Kumar

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"मां"

"मां"

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ममता की जीती जागती 

मूरत हो मां तुुम

कुदरत का दिया 

वरदान हो मां तुम 

निस्वार्थ प्रेम का 

आधार हो मां तुम।


मां तुम्हारा साथ होना

कदमों तले जन्नत 

होने से कम नहीं,

मां तुम्हारा साथ ना होना

किसी अभीषाप से कम नहीं।


जिसकी छाया मेरे

साथ साथ चलती है

वो पेड़ हो मां तुम।


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