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RAHUL ROHITASHWA

Inspirational

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RAHUL ROHITASHWA

Inspirational

बेटियाँ

बेटियाँ

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चढ़ी जा रही सभी चोटियाँ

घर घर की मासूम बेटियाँ


बेटों से कमतर नहीं अब वो

अब न सेकती घरों मे रोटियाँ


माँ के आँखों का सपना है

वृद्ध पिता की लाठीया


समझो न कमजोर इन्हें अब

अब समाज की बंद मुट्ठियाँ


जितना इन्हे जलाया हमने

उतनी प्रखर हुई दृष्टियाँ


इनके बढ़ते कदम न रोको

वरना धूमिल होंगी सृष्टियाँ।


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