बेटियां
बेटियां
बेटियाँ होतीं हैं
स्वाति की पवित्र बूंदों सी,
करके आह्लादित, धरा को
अनंत में विलीन हो जातीं हैं,
बेटियाँ होती हैं
सुंदर परियों सी,
बना कर स्वर्ग, घर को,
आकाश में अदृश्य हो जातीं हैं,
बेटियाँ होतीं हैं
निर्मल नदियों सी,
बना कर उर्वर, माटी को,
समुद्र में समर्पित हो जातीं हैं,
बेटियाँ होतीं हैं
अद्भुत शिल्पी सी,
रच कर, सृष्टि को
शून्य हो जातीं हैं ।
