हिंदी
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भारतेन्दु की काव्यकृति है
जयशंकर का ओज है ,
जन जन की प्रिय यह हिंदी
"प्रियप्रवास" का "हरिऔध" है ।
तुलसी का मानस है
सूर की साहित्य-लहरी है ,
अमृत वाणी है, कबीर-नानक की
रसखान-रहीम की मधु रस गगरी है ।
मीरा का भजन है
महादेवी का गीत है ,
कण कण में गूँज रहा है जो
टैगोर का संगीत है ।
द्विवेदी का गद्य है
निराला का पद्य है ,
अमृत सदृश जो छलक रहा है
मैथिलीशरण का छंद है ।