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Vijayta Suri

Inspirational

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Vijayta Suri

Inspirational

बेटियाँ ।

बेटियाँ ।

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हालात कुछ इस कदर बिगड़े हैं

बेटियाँ धरा पर आना नहीं चाहती ।

तुम क्या मारोगे उन्हें कोख में 

माँ खुद ही जन्म देना नहीं चाहती।


लानत है ऐसे समाज पर 

जो बेटियों को नोचता है।

पालता है उन शावकों को

जो नामर्दगी के झंड़े गाड़ता है।

 

कमजोर नहीं है नारी

बस शक्ति का आभास नहीं।

जाहिलों खुद को संभाल लो

वरना अंजाम अच्छा नहीं।


बेटियों पर इतनी पाबंदियां 

क्यों बेटों में संस्कार नहीं? 

इतनी आग है हवस है ... तो

क्यों उसका इलाज नहीं ? 


करना गौर अबसे 

उनकी परवरिश व संस्कारों पर।

शर्मिंदगी बेटों की वजह से है 

मूर्खों ! कारण बेटियाँ नहीं।


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