बेटी कोई बोझ नहीं।
बेटी कोई बोझ नहीं।
बेटी कोई बोझ नहीं
मैं तेरी प्यारी गुड़िया हूँ
तू है सुंदर मात हमारी
मुझको दुनिया में आने दो
सुनो मुझे मेरी महतारी।
जब मैं तेरी कोख में आऊं
न खाना तुम कोई दवाई
हिम्मत कर सबसे तुम लड़ना
देना सबको तुम समुझाई।
मैं तेरी प्यारी.......
तू है मेरी............।।
मुझसे क्या नुकसान तुम्हें है
पापा क्यों है इतनी ग्लानी
मम्मी भी तो पैदा न होती
जो यही सोचते नाना-नानी।
घर सारा खुशियों से भर दूंगी
भर दूंगी खाली झोली सारी
मैं तेरी प्यारी......।
तू है मेरी............।।
पढ़ लिख रोशन नाम करूँगी
मैं सबका सम्मान करूँगी
तुम सबको एहसास दिलाना
बेटी बोझ नहीं समझाना।
तेरी हूँ मैं सोन चिरैया
पापा की हूँ राज दुलारी
मैं तेरी प्यारी.....
तू है सुंदर........।।
वेद, पुराण, उपनिषद सारे
कहे बेटी देवी की मूरत
शिक्षित बेटी युग निर्माता
संस्कृति व संस्कार की सूरत।
कहे अजय सुन दुनिया सारी
बिटिया पर निर्भर सृष्टि सारी
बिटिया कोई बोझ नहीं है
बिन बेटी मचेगी हाहाकारी।
बेटी से संस्कार है जीवित
बेटी से चलती दुनियादारी
बेटी जब-जब गर्भ में मरती
रोती तब-तब धरती सारी।।
