बेटा या बेटी।
बेटा या बेटी।
आज भी बेटा और बेटी में भेदभाव है,
बेटा आज भी बेटी से बहुत ज़रूरी है।
कुछ माता-पिता भेदभाव बहुत करते,
बेटे की चाह में बेटी की हत्या है करते।
दुनिया आधुनिक बहुत ज़्यादा हो गई,
पर दोनों में भेदभाव कम नहीं हुआ है।
उसकी हँसी सदा चाहे हो बेटा या बेटी,
दोनों को स्वस्थ प्रसन्न देखकर है सुखी।
माता पिता सबकुछ भूल जाते ही सदा,
चाहे ख़ुशी हो या हो ग़म या तकलीफ़।
तो कभी भेदभाव लिंग का करना नहीं,
बेटा या बेटी एक समान समझना यही।