बेटा तू कितना मासूम था
बेटा तू कितना मासूम था
बेटा तेरे मुंह की हंसी कितनी प्यारी थी ,
कहां गई तेरी हंसी जो सबसे न्यारी थी ।
कैसे समझाऊं बेटा तू कैसा था ,
पर वैसा ही रे जैसा था ।
मेरा सपना था तू महान बने ,
पर बेटा हमारी जहान बने ।
बेटा हा तु आंखों का प्यारा ,
पर किसका हो गया अब न्यारा ।
बैठा तू कितना मासूम था ,
जब तेरा जन्म हुआ था ।
कहां गए वो तेरे यार ,
जो करते हैं तेरे से प्यार ।
कितने लम्हों ने भरमाया तुझे ,
कितने लम्हों ने समझाया तुझे ,
पर क्यों मुरझाया इस जिंदगी से,
रहे मात- पिता का साया इन दरिंदगी से।
बेटा तेरे मुंह की हंसी कितनी प्यारी थी,
कहां गई तेरी हंसी जो सबसे न्यारी थी ।