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Anil Sharma

Abstract

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Anil Sharma

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बेमौसमी बारिश, करे गुजारिश

बेमौसमी बारिश, करे गुजारिश

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बादल अब यों बरस रहे,

न जाने क्या ये बात कहें


आसमान करे, घोर ये गर्जन वो,

ज्यों किया, मानव-गर्व मर्दन हो,


ज्यों एक अट्टहास-सा भरा प्रकृति ने,

कि भरा भय गहरा, हर देश हर व्यक्ति में,


हुई आहत धरती, टूटा वसुंधरा का संयम है,

हो उद्धार अब इस धरा जीण का,

हो नवनिर्माण, यूँ ही तो नियम है,


उठ संवार बची शुक्ष्म विरासत,

कठिन समय, ये यूँ न टलता,

रहे सजग, हो एकांत, नर-नार संबल बने सबका,


ये अंतिम प्रयास, अंतिम ये नियति है,

अवशेष मात्र बस शब्द संदेश, शेष यही शक्ति है।


स्वयं संभलो, करे ईश्वर निवेदन,

श्रेष्ठ अब यही भक्ति है।


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