बदलता नजरिया
बदलता नजरिया


अब नीति निपुण लोगों की कमी होने लगी है
आदमी से आदमी की समझो दूरी होने लगी है।
रिश्तों में अनीति का लेकर लोग सहारा अब
नीति से कोसों दूर की बात अब होने लगी है।
बदल गए प्रतिमान सारे देखो आज समाज में
शास्त्रों की रीति नीति भी देखो दूर होने लगी है।
जब शिक्षालयों में नीति परक बातें सिखाते थे
आज सभी बातें राजेश हवा सी गुम होने लगी।