बदला नज़ारा
बदला नज़ारा
कोटर में बैठा पंछी, देख रहा है बदला नज़ारा,
आज हम आज़ाद यहां, घर में बंद है जग सारा।
इंसान ने सबसे ताकतवर हरदम माना खुद को,
आज स्वयं पर भारी होता उसका किया पसारा।
जिस प्रकृति ने उसको जीवन भर उपहार दिए,
उसको खतम करने में ही उसने अपने को मारा।
देश - दुनिया की हालत कितनी गंभीर हो रही,
कोरोना बीमारी ने बना दिया सबको बेचारा।
अब तो समझो, कुछ तो सोचो, मानो नियमों को,
बचाना है जीवन तो, अपना घर है सबसे प्यारा।
