बड़ों से घर घर होता है
बड़ों से घर घर होता है
घर कितना भी
आलीशान क्यो न हो
जब तक वो घर
घर नहीं होता
तब तक उसमे
कोई बड़ा नहीं होता
वो होता है
ईट पत्थर सीमेंट
से बना मकान
जिसकी नहीं होती
कोई ज़ुबान
वहाँ लोगो के दिल
नहीं मिलते है
वहाँ लोगो की
जरूरतें जुड़ी होती है
इसलिये लोग
आपस में बातें करते है
कोई किसी से बात
करता ही नहीं
काश कोई बड़ा होता
जो लोगों को आपस में
जोड़कर रखता
उनके बीच की कड़ी होता
घर को घर बनाकर रखता
