बढ़ती बेरोजगारी।
बढ़ती बेरोजगारी।
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सरकारी नौकरी तो मिलती नहीं,
निजी स्कूल ख़ूब फ़ायदा उठाते।
एक ही साल में दो निजी स्कूलों,
ने काम निकलते ही किया बाहर।
वेतन मान पच्चीस हज़ार दिखाते,
देते हैं हर महीने दस-बारह हज़ार।
डेढ़ साल से बिल्कुल ख़ाली बैठें हैं,
लिखना शुरू किया ना खोदते घास।
कब-तक बेरोजगारी के नाम पर ही,
ऐसे लुटते रहेंगे हम जैसे बेरोजगार।