बच्चे ही रहेंगे......
बच्चे ही रहेंगे......
पहले तो यार इतना इतराते नहीं थे हम,
यारों को छोड़ खेलता आते नहीं थे हम,
उस दौर की वो ज़िन्दगी कितनी महान थी,
दुनिया की इश्क़ रश्क से बाहर तमाम थी,
न थी कोई भी फिक्र, न कोई भी काम था,
हर आदमी से प्यार था, सब खास-ओ-आम था,
स्कूल का वो लंच था, झूलों से प्यार था,
हर धर्म के टिफिन में, पराठा अचार था,
साईकल की हो वो रेस, या कुर्सी की दौड़ हो,
चाहे पढ़ाई हो या मस्ती का शोर ओर हो।
बचपन का दौर सबसे सुहाना था दोस्तों,
लेकिन हमें तो दुनिया को पाना था दोस्तों,
अब तो सुकून इतना है कि यादें साथ हैं,
हमने जो किया तब वो कहानी में याद है,
इतना ही कहूंगा कि इन यादों को न खोना,
कोई भी उम्र हो, मगर बचपन को संजोना,
कठिनाई कुछ भी हो मगर सच्चे ही रहेंगे,
हम ज़िन्दगी तेरे लिए बच्चे ही रहेंगे,,
बच्चे ही रहेंगे।