बारिश
बारिश
बारिश के टपकते इन गोलों में जान है क्या,
"टप - टप" , हमेशा बस "टप - टप" बेजुबान हैं क्या?
ये बूंदें बेशक उसके ज़ुल्फ़ से छिटकी होंगी,
मुझ पर ऐसे हँसती हैं कोई पहचान है क्या?
वह चली गई जाने कहां सारा मानसून लेकर,
अब इस प्यासे पौधे का गला भीगे अनुमान है क्या?
जिस रास्ते पर भीगते निकलते थे हम दोनों,
छातों की भीड़ है, हए! अब शहर सुनसान है क्या?
बारिश की एक बूंद मेरे कानों से टकराकर बोली,
'बौछार से तर है हर शय, तू प्यासा, तू रेगिस्तान है क्या?'
