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Chitra Yadav

Abstract

3  

Chitra Yadav

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बारिश

बारिश

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खोल दो सारी खिड़कियाँ

और दरवाज़े

इन बूँदों को

अंदर आने दो।


भीग जाने दो दरोदीवार घर के

इन्हे झूमने दो, गाने दो

चाय पकोड़े तैयार रखना

आज दावत होगी।


बड़ी मन्नतओं से

आयी है ये बारिश

रूठ गई गर मौहतर्मा

तो न जाने कब लौटेगी।


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