बापू फिर से आ जाओ
बापू फिर से आ जाओ
ओ बापू फिर से आ जाओ,
अहिंसा का पाठ पढा़ जाओ,
लूट मार मची है हर ओर,
इनको देश धर्म का आईना दिखा जाओ।
सत्याग्रह से दांडी यात्रा तक,
पोरबन्दर से डरबन तक,
कारागार से चरखे तक,
मोहनदास से महात्मा तक,
असहयोग से तिरंगे की आज़ादी तक,
सत्य, अहिंसा, देशभक्ति, एक बार तो सबक सिखा जाओ।
अजानबाहु साबरमती के संत,
मारामारी की होड़ लगी, फैला चहुँ ओर छल प्रपंच,
राजनीति और राजनेताओं से आए अब दुर्गंध,
विकट त्रासदी का काम है ऐसा करते तुम पर भी तंज,
बिमार दुषित के लिए करदो कुछ प्रबंध,
अब तो आ भी जाओ बापू मेरे संत।
अपने पाठ्य पुस्तक में आपका वो मंतर,
पढ़ता था हर रोज,
दुख से उबरने का प्रयोग
समाहित है स्वयं के ही अंदर,
गांधी तो एक युग है, कोई नहीं समानांतर।
आ जाओ बापू अब तो इक बार हमारे संत,
स्मरण रहोगे आप सदा जीवन पर्यंत।