बादल
बादल
बादलों को देखते ही,
मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही-बूदों के धरा पर आगमन से,
संगीत का झरना बहने लगता है।
प्रकृति, वर्षा की फुहारों में,
नवोढा नायिका सी
मदमस्त होने लगती है।
हृदय में उपजी नव तरंगे
अंगड़ाइयाँ लेने लगती है।
सर्वत्र प्रेम, राग,
मल्हार छाने लगता है
वर्षा का मौसम मन को
दीवाना बनाने लगता है।
बादलों को देखते ही,
मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही बूदों के धरा पर आगमन से,
संगीत का झरना बहने लगता है।
ये धरा प्यारी महकने लगती है
वन उपवनों अरण्य में,
छटा बिखरने लगती है
रंग बिरंगे रंग वसुधा का,
श्रृंगार करते हैं।
भंवरे फूलों पर मधुर-मधुर
गुंजार करते हैं।
बादलों को देखते ही,
मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही- बूदों के धरा पर आगमन से ,
संगीत का झरना बहने लगता है।
कोयल, मोर, दादुरों की ये बोलियाँ
नित नवीन जीवन में अनुराग भरती है।
कल-कल करती नदियाँ
सरगम सी सुनाती है
झर-झर बहते झरनों से
वो राग मिलाती है।
बादलों को देखते ही,
मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही-बूदों के धरा पर आगमन से,
संगीत का झरना बहने लगता है।
