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Dilip Sain

Abstract

4.6  

Dilip Sain

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बाबा मैं तेरी चिड़िया हूँ

बाबा मैं तेरी चिड़िया हूँ

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जब आई मैं इस दुनिया में 

बाबा तु सर झुकाएँ बैठा था

बेटी बन कर क्या पाप किया था

जो तु मुझसे मुँह फुलाएँ बैठा था


बेटे को तू कंधे पर उठाए फिरता था 

मुझे तेरी गोद की खातीर तरसाया था

मेरे नन्हे पैरो कि पायल ने

तेरे सुन्न आँगन को खनकाया था 


काम से आते ही जब भूख लगी तुझे 

तो खाना बनाकर मेंने खिलाया था 

बेटे को स्कूल में पढ़ाया तूने 

मुझे रसोई में बिठा दिया था 


जब हुई सयानी तो 

तूने मुझे ब्याह दिया 

अपने आंगन की चिड़िया को 

किसी और के आंगन में बिठा दिया 


देख बाबा आज तेरी बेटी ने 

इस आँगन को भी अपना लिया 

तेरे ही दिये संस्कारों से 

इस घर को स्वर्ग बना दिया।


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