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Dilip Sain

Others

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Dilip Sain

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प्रेम का त्याग

प्रेम का त्याग

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प्रेमिका की शादी कहीं और हो जाती है

तब प्रेमी कहता है


आज दुल्हन के लाल जोड़े में

उसकी सहेलियों ने उसे सजाया होगा


मेरी जान के गोरे हाथों

पर

सखियों ने मेहंदी को

लगाया होगा


बहुत गहरा चढ़ेगा मेहंदी

का रंग

उस मेहंदी में उसने मेरा

नाम छुपाया होगा


रह रहकर रो पड़ेगी

जब भी उसे मेरा ख्याल

आया होगा


खुद को देखेगी जब आईने में

तो अक्स उसको मेरा भी

नजर आया होगा


लग रही होगी एक सुंदर

सी बला

चांद भी उसे देखकर

शर्माया होगा


आज मेरी जान ने अपने मां

बाप की इज्जत को

बचाया होगा

उसने बेटी होने का फर्ज

निभाया होगा


मजबूर होगी वो बहुत

ज्यादा

सोचता हूँ कैसे खुद को

समझाया होगा


अपने हाथों से उसने

हमारे प्रेम खतों को

जलाया होगा


खुद को मजबूर बनाकर

उसने

दिल से मेरी यादों को

मिटाया होगा


भूखी होगी वो मैं जानता

हूँ

पगली ने कुछ ना मेरे बगैर

खाया होगा


कैसे संभाला होगा खुद को

जब फेरों के लिए उसे

बुलाया होगा


कांपता होगा जिस्म

उसका

जब पंडित ने हाथ उसका

किसी और के हाथ में

पकड़ाया होगा


रो रोकर बुरा हाल हो

जाएगा उसका

जब वक्त विदाई का आया

होगा


रो पड़ेगी आत्मा भी

दिल भी चीखा

चिल्लाया होगा


आज उसने अपने मां बाप की

इज्जत के लिए

उसने अपनी खुशियों का

गला दबाया होगा


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