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shruti narula

Tragedy

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shruti narula

Tragedy

औरत

औरत

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कुछ ऐसे भी दर्द है, जो वो चुपचाप सह जाती है,

कभी बहुत सी ऐसी चीज़ें जो वो कह नहीं पाती है


कुछ चुभते दुख अपने वो सबसे छुपाती है,

ऐसे भी थोड़े ज़ख्म हैं, जो वो नहीं बताती है


हल्की मुस्कान तले दिल के वो बोझ दबाती है,

उसको हक़ है बिलख के रोने का, जब कभी टूट सी जाती है !



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