औरत-तुझे सलाम.
औरत-तुझे सलाम.
औरत का होता है अलग "AURA",
अपनों के लिए बन जाती हैं चट्टान ।
वो निभाती हैं अलग - अलग ज़िम्मेदारियाँ,
वो होती हैं हमेशा हर समस्या के समाधान का दरिया।
वो निभाती है एक अच्छी बेटी होने का कर्तव्य,
हर हाल में बचाती है माँ - बाप को बुराइयों से।
शादी करके जाती हैं अंजान घर में,
वहाँ जाके बनाती परायों को अपना हमेशा के लिए।
वो बन के माँ अपने बच्चों की,
करती हैं उनकी देख-रेख और देती प्यार-दुलार।
वो हमेशा दूसरों की सेवा में करती जीवन समर्पित,
भूल जाती है वो अपनी खुशियाँ।
सलाम है तेरे हर रूप को,
तू बन जाती है छत हर कड़ - कड़ती धूप में।
