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Jyoti Pathak

Tragedy Inspirational

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Jyoti Pathak

Tragedy Inspirational

औरत है ना

औरत है ना

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सुबह उठकर सबके लिए भोजन पकाएगी,

खुशबू से भले ही उसकी क्षुधा जाग जाएगी,

एक औरत है ना !

सबके बाद ही खाएगी l


जब लगती होगी भूख,

मन मे उठती होगी हूक,

सोचती हूँ होकर दंग,

है रोटी पर भी प्रतिबंध !


फ़र्ज़ अपना समझकर वो प्रतीक्षा कर लेगी,

औरत है ना !

सबके बाद ही खाएगी ।


भूख पर भी इनका

पहला अधिकार है,

संग औरत के खाने से

घटता इनका मान है,


अपमान सहकर भी वो जिंदा रहेगी,

औरत है ना !

सबके बाद ही खाएगी ।


माँ के बने सारे पकवान;

पर उसका हक था समान ,

उतरते ही सब्ज़ी जो ,पहले खाती थी;

लाडली माँ की, वो कहलाती थी ।


सपने में भी उसके; यह बात न आई होगी !

अरे ! औरत है ना !

सबके बाद ही खाएगी ।


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