अटल व्यक्तित्व
अटल व्यक्तित्व
नमन तुम्हें हे त्याग की मूरत,
देश के तुम अनमोल रतन,
एक आदर्श तुम्हारा जीवन,
गर्व करे जिस पर जन-जन।
व्यक्तित्व तुम्हारा तेजमय,
शब्दों के तुम जादूगर,
कविताओं और वक्त्वयों से,
वश में कर लेते हृदय छूकर।
तुमने बाल्यावस्था में ही,
देशप्रेम का बिगुल बजाया,
फिर तन, मन, धन से यह जीवन,
देशहित के लिए खपाया।
अपने तप और त्याग से तुमने,
देश सदा किया आगे,
तुम जैसे पूत और भी होते,
माँ तो यही दुआ माँगे।
कर्म अटल, कर्तव्य अटल,
बोल अटल, व्यक्तित्व अटल,
नाम को तुम करते साकार,
अटल अमर हो युगों युगों तक,
जैसे नदियां, पर्वत, पठार।
यह छोटी सी व्याख्या है,
मन से निकली कविता बनकर,
पर व्यक्तित्व तुम्हारा है सागर,
नहीं रख सकते पात्र में भरकर।।
