अतीत
अतीत
अतीत बड़ा सुहावना होता है,
अगर बचपन वाला हो।
काश कि फिर से मां की गोद,
पापा का प्यारा कंधा चढ़ने को मिले।
दादी ,नानी की कहानियां सुणू,
दादा, नाना कि छरियों और छतरियों
के संग फिर से मैं खेलू।
जी भर झगड़ा करलू भाइयों से,
लेकिन उनकी हर खुशी में अपने दर्द को भुलू।
सखियो संग खेलू आंख मिचौली,
उनके संग हर पल लगती मीठे रंगो की होली।
कागज की नाव चलाऊ बरसात में,
काह तक पहुंची मेरी नाव ,
देखने जाऊ पीछे- पीछे फिर उसको मैं।
गुड्डा,गुड्डी की शादी करा ,
लकड़ी की गाड़ी में उनको बेठाऊ।
झूठ मूठ की विदाई कर उनकी
मैं आंसू खूब बाहाऊ।
कभी डॉक्टर कभी नर्स बन
अपने छोटे- भाई बहन का मैं इलाज करू।
कभी तितलियों के पीछे भागु
तू कभी पंछी बन उन्मुक्त निल गगन में मैं उरू।
काश कि अतीत में जाने को मिले ,
तो फिर से अपने बचपन के पलों में मैं लौट जाऊं।
लेकिन अब तो केवल वो एहसास ही गुदगुदाते हैं,
बचपन वाले वो मीठे पल कहां फिर लौट आते हैं!
गुजरा कोई भी पल हमें वापस नहीं मिलता है।
पल-पल जो गुजरता वो भी रेत की तरह हाथो से फिसलता हैं।
अतीत में जाने कि सोच ताउम्र खत्म ना होती हैं।
लेकिन जीवन में हकीकत कुछ और ही बयां होती हैं।
अब जरा अतीत से हट कर
भविष्य को छोड़कर केवल वर्तमान में ही जीले हम।
कुछ खट्टी मीठी यादों को,
अतीत के लिए आज ही मजेदार बना ले हम।
फिर अतीत में जाने कि ख्वाहिश भी
होने लगेगी हम सब को कम।
बस जो पल है हमारे,
सामने उसी पल को खुल के जी ले हम
बस उन्ही पलों को खुल कर जी ले हम।
ना होगी किसी बात की हमें फिक्र,
अतीत में ना जाने कि ठाणे हम अगर।
बचपन बीता, जवानी बीती,
अब आनेवाले हर एक पल को ही संवरले हम।
फिर हमारी यादों में भी होगा दम,
ना महसूस होगी हमें कभी बीते अतीत की प्यारी सी दर्द भारी चुभन।
जवानी की तरह मस्ती करे
और बचपन की तरह फिर से मस्त मौला हो जाए हम
बचपन की तरह फिर से मस्त मौला हो जाए हम।