असत्य का प्रभाव
असत्य का प्रभाव
कर रहे हो क्यों खड़े तुम अब किसी का इंतजार।
भूल जाओ तुम यहां मीरा व राधा का प्यार।।
भूख सबको ही लगी है प्यास पैसों की बड़ी,
हर गली हर मोड़ पर एक द्रोपदी सी खड़ी;
कौन है? दु:शासन यहां और कौन है? रावन यहां।
ज़ुल्म व अत्याचार की है यहां पर लगी तकरार।।१
क्षीण होने के लिए होता अस्मिताओं का जन्म,
कंस, कौरव, दुर्योधन क्या भीम अर्जुन में भ्रम;
कौन है ? कलयुगी युधिष्ठिर कौन तम का यक्ष है?
कौन है ? बहुरूपिया और कौन बिल्कुल सच है?
सोंचता मानव खड़ा हर मोड़ पर करता पुकार।।२
सत्य के न हरिश्चंद्र न तो कठौती गंग है,
पल-पल बदलता रूप मानव अनिश्चितता का रंग है;
संभावना की ओट लेकर पथिक कहता बार-बार।।३
संध्या को ही चेत जाओ अर्धचेतन को जगा,
झूठ स्वास्तिक त्याग के विश्वास जय का लगा;
ज्ञान की प्रभु प्यास मम को दीजै बार-बार।।४
राजनीति, कूटनीति,फूटनीति में अधर्म को,
कर्म व अब मर्म की है जंग लेकर धर्म को;
सच भलाई पुण्य मेंं प्रत्येक जाता स्वर्ग द्वार।।५
कर रहे हो क्यों खड़े तुम अब किसी का इंतजार।
भूल जाओ तुम यहां मीरा व राधा का प्यार।।
