STORYMIRROR

SANJAY KUMAR

Abstract

4  

SANJAY KUMAR

Abstract

असत्य का प्रभाव

असत्य का प्रभाव

1 min
268

कर रहे हो क्यों खड़े तुम अब किसी का इंतजार।

भूल जाओ तुम यहां मीरा व राधा का प्यार।। 



भूख सबको ही लगी है प्यास पैसों की बड़ी,

हर गली हर मोड़ पर एक द्रोपदी सी खड़ी;

कौन है? दु:शासन यहां और कौन है? रावन यहां।

ज़ुल्म व अत्याचार की है यहां पर लगी तकरार।।१


क्षीण होने के लिए होता अस्मिताओं का जन्म,

कंस, कौरव, दुर्योधन क्या भीम अर्जुन में भ्रम;

कौन है ? कलयुगी युधिष्ठिर कौन तम का यक्ष है?

कौन है ? बहुरूपिया और कौन बिल्कुल सच है?

सोंचता मानव खड़ा हर मोड़ पर करता पुकार।।२


सत्य के न हरिश्चंद्र न तो कठौती गंग है,

पल-पल बदलता रूप मानव अनिश्चितता का रंग है;

संभावना की ओट लेकर पथिक कहता बार-बार।।३


संध्या को ही चेत जाओ अर्धचेतन को जगा,

झूठ स्वास्तिक त्याग के विश्वास जय का लगा;

ज्ञान की प्रभु प्यास मम को दीजै बार-बार।।४


राजनीति, कूटनीति,फूटनीति में अधर्म को,

कर्म व अब मर्म की है जंग लेकर धर्म को;

सच भलाई पुण्य मेंं प्रत्येक जाता स्वर्ग द्वार।।५


कर रहे हो क्यों खड़े तुम अब किसी का इंतजार।

भूल  जाओ तुम यहां मीरा व राधा का प्यार।। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract