अस्तित्व की खोज
अस्तित्व की खोज
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कभी कभी मुझे
यह अहसास होता है
कहीं में एक भंवर में तो नहीं।
दूसरों को देख देख कर
उनसा ही बनने की सोच में
कहीं स्वयं के व्यक्तित्व को
इस पृष्ठ रूपी जीवन से
कलम की स्याही के समान
मिटा तो नहीं रही हूँ।
कहीं ऐसा न हो
की दूसरों सा बनने के उपक्रम में
मैं अपने आप को खो बैठूँ।
और रह जायूँ इस विस्तृत संसार में
एक निरीह सफ़ेद गाय के सामान
अकेली निःसहाय।
मुझे अपने आप में इस हेतु करना होगा
आत्म विश्वास का संचार
मानना होगा
मेरा भी एक अस्तित्व है।