अर्थ संवाद
अर्थ संवाद
खोना पाना अरु भूल जाना, ये प्रीत जगत की निराली
कितनी जल्दी तेरे मेरे सम्बन्धो में, आई अद्भुत पकड सुहानी।
सोच सोच के तन्हाई का, अनुभव कडबा दोनो को आभास हुआ
क्यूं न मिल कर साथ चले हम, जीवन विकट खग्रास हुआ
एक अकेला क्यूं राग आलापे, तुती सा नक्कारे में
मिल कर जुगत भिडायेगे जो हम, डर न सताये अंधीयारे में
दुनियादारी सीख जायेंगे, कुछ कुछ सांझ सकारे में
एक अकेला क्यूं राग आलापे, तुती सा नक्कारे में
खोना पाना अरु भूल जाना, ये प्रीत जगत की निराली
कितनी जल्दी तेरे मेरे सम्बन्धो में, आई अद्भुत पकड़ सुहानी।