Sunriti Verma
Classics Inspirational
वन ही अरण्य,
वन ही जीवन।
वन ही कान्तार,
वन को हमारा समपर्ण।
है यह घने व विशाल।
करते रक्षा जैसे हो ढाल।
है वर्षा से संबंधित,
वन को हमें स्वयं को
करना है समर्पित।
प्रकृति बाध्य...
गीत
मेघ
क्रम
व्यंजन की यह ...
कला
कविता है क्या...
विष
क्या है यह?
पुष्प
पत्थर सा कणसर हूँ मगर मे क्या मै कोण हू यह कोई सवाल नहींं। पत्थर सा कणसर हूँ मगर मे क्या मै कोण हू यह कोई सवाल नहींं।
बल पर बुद्धि की विजय का, है यह जीवन्त उदाहरण, अनेक उदाहरणों में से एक।।बल पर बुद्धि क बल पर बुद्धि की विजय का, है यह जीवन्त उदाहरण, अनेक उदाहरणों में से एक।।बल...
जहाँ तक़ निः स्वार्थ सेवा हो सके, ऐसा अद्भुत श्रमदान बहुत जरूरी है ! जहाँ तक़ निः स्वार्थ सेवा हो सके, ऐसा अद्भुत श्रमदान बहुत जरूरी है !
यूं तो ख्वाहिशों का पिटारा हूँ मैं पर ये ख्वाहिश ख्वाहिश है मेरी। यूं तो ख्वाहिशों का पिटारा हूँ मैं पर ये ख्वाहिश ख्वाहिश है मेरी।
कठिन डगर में सदा"पूर्णिमा"जग को राह दिखाती है।। कठिन डगर में सदा"पूर्णिमा"जग को राह दिखाती है।।
नाउम्मीदी से अभी अभी उबरे हैं हम अगर और जो टूटे तो बिखर जाऐंगे। नाउम्मीदी से अभी अभी उबरे हैं हम अगर और जो टूटे तो बिखर जाऐंगे।
ज़िंदगी है पेड़ जैसी, वक्त आने पर धूप सी, वक्त आने पर छाँव सी।। ज़िंदगी है पेड़ जैसी, वक्त आने पर धूप सी, वक्त आने पर छाँव सी।।
खुश्बू बदन की ठगती है मनसीरत, इत्र के पोखर में पाया है तुझको। खुश्बू बदन की ठगती है मनसीरत, इत्र के पोखर में पाया है तुझको।
उसको वृथा है ना कोई रही। उसको वृथा है ना कोई रही।
दर्पण जैसी सबको आत्मसात किए हुए सी। दर्पण जैसी सबको आत्मसात किए हुए सी।
और है सूचक नवजीवन को लिये, शीघ्र ही नवयुग के प्रारम्भ का।। और है सूचक नवजीवन को लिये, शीघ्र ही नवयुग के प्रारम्भ का।।
समयानुवर्ती व्यक्तित्त्व के अधिकारियों को दिलाए मान सम्मान । समयानुवर्ती व्यक्तित्त्व के अधिकारियों को दिलाए मान सम्मान ।
सिर्फ़ तुम्हारे तुम्हारे रहेंगे सिर्फ़ तुम्हारे ही कहलायेंगे।। सिर्फ़ तुम्हारे तुम्हारे रहेंगे सिर्फ़ तुम्हारे ही कहलायेंगे।।
आशा मत खोना और डटे रहो भविष्य जायेगा बदल। आशा मत खोना और डटे रहो भविष्य जायेगा बदल।
हंस माला से, चुग लेता मोती, और उड़ जाता, वापस अपने देश हंस माला से, चुग लेता मोती, और उड़ जाता, वापस अपने देश
इहलाेक में किसका दिल न दिखाएं परोपकार पुण्याय से परलोक संवारे ! इहलाेक में किसका दिल न दिखाएं परोपकार पुण्याय से परलोक संवारे !
सहनता मुश्किल है। इनके जीवन शून्य है।। सहनता मुश्किल है। इनके जीवन शून्य है।।
तब ख़ुद से पूछोगे, लोग पागल कैसे हो जाते हैं ? तब ख़ुद से पूछोगे, लोग पागल कैसे हो जाते हैं ?
जख्मों के पहाड़ को पार कर लेते हैं आओ मरहम बन जाते हैं।। जख्मों के पहाड़ को पार कर लेते हैं आओ मरहम बन जाते हैं।।
मैं ही नहीं बल्कि मैं भी धरती अपनी सुख की प्यास से हंसती है। मैं ही नहीं बल्कि मैं भी धरती अपनी सुख की प्यास से हंसती है।