अपनी भूल
अपनी भूल
स्वीकार करता जो अपनी भूल ,
उस से भला ना कोई है ,
जो ना माने अपनी गलतियां ,
उस से बुरा ना कोई है ,।
जो त्याग दे अपने अहंकार को ,
उस से बड़ा ना कोई है ,
रहते भरे जो अपने अहंकार में ,
उस से गिरा ना कोई है।
जो दूसरों का सम्मान है करता ,
वह खुद से सम्मानित होता है,
जो करता है अपमान किसी का,
वो अपने आप को खोता है।