अपनी भाषा हिंदुस्तानी
अपनी भाषा हिंदुस्तानी
कविता
अपनी भाषा हिन्दुस्तानी
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सत्य अहिंसा न्याय दया की, रही सदा जो पटरानी।
हिन्दी है अपनी भाषा, अपनी भाषा हिंदुस्तानी।।
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नस नस में हो खून हिन्द का, हिंदुस्तानी आन रहे।
पले हिन्दी की भूमि में हम, हिन्दी ही अभिमान रहे।।
संस्कृति, भाषा, भूषा का, नहीं जहां सम्मान रहे।
मानवता को दफनाने का, ही सचमुच सामान रहे।।
हिन्दी के ख़ातिर जो भी, मांगोगे देंगे कुर्बानी।
हिन्दी है अपनी भाषा, अपनी भाषा हिंदुस्तानी।।
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अरबों की भाषा जब अरबी, ईरान की जब ईरानी है।
चीन की जब चीनी भाषा, जापान की जब जापानी है।।
जर्मनी आज है जर्मन की, इंग्लैंड की इंग्लिश रानी है।
क्यों कर भूल जाएं हम अपनी, भाषा जो सम्मानी है।।
भाषा हिन्दी भाल की बिंदी, नहीं करेंगे नादानी।।
हिन्दी है अपनी भाषा, अपनी भाषा हिन्दुस्तानी।।
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प्यार किया अंग्रेजी से तो, घर अपना बर्बाद किया।
हुई अवज्ञा हिंदी की बस, अंग्रेजी को याद किया।।
भूल गए अपने पथ को, ये कैसा पथ आबाद किया।
न तो हम शादाब हुए, न गैरों को शादाब किया।।
गये गर्त में इसीलिए हम, करते आए मनमानी।।
हिंदी है अपनी भाषा, अपनी भाषा हिंदुस्तानी ।।
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याद करो इतिहास पुराना, जगत गुरु कहलाते थे।
मानवता की शिक्षा लेने, लोग दूर से आते थे ।।
तक्षशिला नालंदा सब को, सच्चा ज्ञान बताते थे ।
हिंदुस्तानी यश परचम को, दुनिया में फैलाते थे।।
अपनी उसी विरासत से, अनजान नहीं हिन्दी ज्ञानी।
हिंदी है अपनी भाषा,अपनी भाषा हिन्दुस्तानी।।
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अख्तर अली शाह "अनंत"नीमच
9893788338