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jyoti pal

Abstract

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jyoti pal

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अपने

अपने

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लगते हैं सभी अपने बेगाने

रिश्ते सभी दिखावटी और झूठे लगते हैं

मुश्किलों में मदद करे जो

वह ख़ुदा के भेजें फ़रिश्ते लगते हैं।


बात कितनी भी बड़ी हो

अपनों की बुराई अपने नहीं करते हैं

मुश्किल में जो बन जाते हैं अपने

वो फिर कभी बेगाने नहीं लगते हैं।


जरा सी आयी मुश्किलों से कभी रिश्ते टूटते नहीं

होती हैं जब जब गलतफहमियाँ

अपनों के रिश्ते फिर फीके लगने लगते हैं

वह जो अपने अपनों के लिए दूसरों से लड़ने लगते हैं।


लाख हों बुरे लाख लड़े चाहें हों एहसान फरामोश

बाहर वाला लाख सही हो, अपने तो अपने ही होते हैं

पीड़ा में अपने अच्छे नहीं लगते

भगवान के दिए रिश्ते प्यारे बहुत लगते हैं।



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