अपने पथ पर
अपने पथ पर
तू चलता चल साखी अपने पथ पर
शूल को फूल समझ अपने पथ पर
हैरान न हो लोगो के कतिपय
तानों से
मैदान न छोड़ लोगो के कतिपय
गानों से
तू कमल बन खिलता चल अपने
दलदल पर
मिलेंगी तुझे नुकीली कीले अपने
पथ पर
डर मत धैर्य से चलता चल तू अपने
पथ पर
जीत चाहे तेरे प्रारब्ध में न लिखी हो,
विजय
तू निष्काम कर्म करता चल अपने
पथ पर
जो बोयेगा वही तो फल तू पायेगा
बबूल बोयेगा तो वही तू पायेगा
आम्र बीज बोता चल तू अपने
पथ पर
चन्दन की खुश्बू जैसे छिपती
नहीं है
वैसे ही रोशनी पर्दे में छिपती
नहीं है
ऐसा तू गीत गाता चल अपने पथ पर
बिना कहे, तेरा नाम आये लोगो के
लब पर
ऐसा कोई काम करता चल अपने
पथ पर
ख़ुदा तो तुझे यूँ बिना इबादत के मिल
जायेगा
बरसों का फूल तेरा एक पल में खिल
जायेगा
तू सज़दा करता चल बस अपने कर्म
पथ पर
तू चलता चल साखी बस अपने कर्म
पथ पर