अंतविहीन
अंतविहीन
निशब्द, निर्विकार, अनंत पथ पर
चला अगणित चलित रथ पर
स्वप्न दिवा मूर्छित मन कल
अंतविहीन अग्रिम वट हट पर।
चेतन, अचेतन आत्म चिंतन कर
उज्जवलित श्वेत शिखर नभ तक
शक्ति अपार संगठित हर क्षण कर
अंतविहीन अग्रिम वट हट पर।
नव निर्माण को सुसज्जित कर
नित नये आयाम स्थापित कर
प्रगति पथ प्रदर्शक बन कर छप
अंतविहीन अग्रिम वट हट पर।