अंतरंग
अंतरंग
ऐ माँझी मेरे
कभी मेरे संग बहके देख
किनारे की राह छोड़
मेरे संग डूब के तो देख
क्यों दौड़ रहा है इतना
कभी मेरे संग चल के भी देख
तेरी दुनिया के भीड़ से दूर
मेरी दुनिया में आ के तो देख
क्या-क्या हैं पाना और तुझे
पाया हैं क्या मुड़ के भी देख
मेरे संग उड़ के खो जा जरा
ख़ुद को भुला के मुझे पा के देख
तुझी में हूँ बसा
" मैं तेरा मन "
एक बार मुझमें
तू समाकर तो देख.......