अंतर्मन भाव का जन
अंतर्मन भाव का जन
प्रभा प्रभात संध्या निशा दिन रात लिखूंगा भाष भाष्य भाव वर्तमान अतीत भविष्य कि बात लिखूंगा।।
जीवन का शुभ मंगल नैतिकता मौलिकता मूल्य शब्द स्वर एक क्रांति लिखूंगा ।।
नित्य निरंतर काल समय जीवन संग्राम कुरुक्षेत्र पथ विजय शत्र शात्र अविराम लिखूंगा ।।
जीवन सार्थक सत्य संकल्प तप भगीरथ पराक्रम पुरुषार्थ शंखनाद लिखूंगा ।।
निश्छल निर्विकार युग उत्कर्ष का पल पल पग भाग्य भारत का स्वाभिमान लिखूंगा ।।
बचपन किशोर युवा चरित्र निर्माण विकास अनुष्ठान संकल्प साध्य साधना अभिनंदन अभिमान लिखूंगा ।।
कन्या बेटी नारी युग उत्थान भागीदार गौरव गरिमा युग पुरुष औरत औकात आवाहन शंखनाद लिखूंगा ।।
सत्य सनातन संस्कृति संस्कार भारत श्रेष्ठ नेक आराधना का जन आहुति अपरिहार्य लिखूंगा ।।
जन जन की खुशहाली हरियाली आह्लादित मन स्वर शब्द ज्ञान विज्ञान साहित्य समाज सत्कार लिखूंगा ।।