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Neeraj pal

Abstract Inspirational

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Neeraj pal

Abstract Inspirational

अंतर- वेदना

अंतर- वेदना

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जिस दिन होगी मृत्यु सम्मुख, हो जाऊँगा भयभीत।

ना रहेगी याद किसी की, गा ना सकूँगा गीत।।


मृत्यु वेदना को पाकर के, कहीं भूल न जाऊँ तुम को ।

घबराहट को देख प्रभु जी, फिर पा न सकूँगा तुम को।।


मन होगा बेचैन उस पल, असहनीय पीड़ा को पाकर।

शिथिल होगी सारी काया, बुद्धि -शून्य में जा कर।।


भूल जाऊँगा मेरे प्रीतम, यमदूतों को देख सामने।

एक सहारा, एक भरोसा, जब आओगे तुम हाथ थामने।।


 जीवन के इस पल में प्रभु जी, विसार ना सकूँ तुम को।

 याद तुम्हारी एक पल ना भूलूँ, देना यही वरदान मुझ को।।


याचना है मेरी यह तुमसे, पूर्ण कर देना मुझ को।

अंतिम सांसें गिनूँ जब तक, दर्शन दे देना मुझ को।।


दर्शन मात्र से ही मुझ को, मिल जाएगा आराम।

जन्म -मरण का बंधन छूटे, फिर होगा पूर्ण विश्राम।।


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