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Bhawana Raizada

Abstract

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Bhawana Raizada

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अंतिम पल

अंतिम पल

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जीवन शैया के अंतिम पलों में,

सब कर्मों का सामना होता है।

तब खुलते हैं चक्षु ज्ञान के,

मन में प्रायश्चित होता है।


अहंकार ने मारा तुझको,

क्रोध का भंडार दिखता है।

मोह माया से लृप्त तुझको,

लोभ का पर्दा हटता है।

जीवन शैया के अंतिम पलों में,

सब कर्मों का सामना होता है।


छल कपट विषाक्त वाणी,

बिन कारण सब छनता है।

सत्य का बोध नहीं तुझे,

अज्ञानी पल पल मरता है।

जीवन शैया के अंतिम पलों में,

सब कर्मों का सामना होता है।


समय नहीं पश्चयाताप का,

आत्मग्लानि से मन भरता है।

क्यों गंवाया व्यर्थ ही जीवन को,

अब स्वर्ण कणों को बुनता है।

जीवन शैया के अंतिम पलों में,

सब कर्मों का सामना होता है।



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