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Hritik Raushan

Abstract

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Hritik Raushan

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अंत

अंत

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तुम्हारे जाने पर मैंने

अश्रु लिखा,वियोग लिखा,

यादें पढ़ी,संवाद लिखा..


तुम्हारे लौट आने की

असंभावना के

असीम भंडार को 

संभावना करार दिया।


फिर तुम एक दिन

लौट आयी और कहा..

"ये क्या बकवास

लिखते रहते हो तुम"


और उस दिन मैंने लिखा 

अंत

हमारी कहानी का

तुम्हारी तरफ से।


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